शेयर बाजार में ASM Category क्या होता है – ASM Category Details In Hindi

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परिचय

शेयर बाजार में निवेश करते समय, निवेशकों को विभिन्न कैटेगरीज के बारे में जानकारी होनी चाहिए, जैसे कि ASM (Additional Surveillance Measure), GSM (Graded Surveillance Measure), और ESM (Enhanced Surveillance Measure)। इन कैटेगरीज का निवेशकों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, और इसलिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि ये क्या हैं और कैसे काम करते हैं।

ASM कैटेगरी क्या है?

ASM का पूर्ण रूप ‘Additional Surveillance Measure’ है। यह एक ऐसी कैटेगरी है जिसे सेबी (SEBI) और स्टॉक एक्सचेंज ने उन शेयरों के लिए तैयार किया है जिनमें असामान्य गतिविधि देखी गई है। इस कैटेगरी में शामिल होने वाले शेयरों पर अधिक नज़र रखी जाती है।

ASM कैटेगरी के पैरामीटर्स

  • High Low Variation: यदि किसी शेयर की कीमत में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव होता है, तो उसे ASM कैटेगरी में डाला जा सकता है।
  • Close to Close Price Variation: यदि किसी शेयर की क्लोजिंग प्राइस में दिन-प्रतिदिन बड़ा अंतर दिखता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि शेयर ASM कैटेगरी में आ सकता है।
  • Volume Variation: यदि शेयर की ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक वृद्धि या कमी देखी जाती है, तो यह पैरामीटर ASM में शामिल होने के लिए ध्यान में रखा जाता है।
  • Market Capitalization: यदि कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन उसके असली मूल्य से काफी अधिक या कम हो, तो इसे ASM कैटेगरी में डाला जा सकता है।
शेयर बाजार में ASM Category क्या होता है - ASM Category Details In Hindi

ASM कैटेगरी के प्रकार

शेयर बाजार में निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की अखंडता को बनाए रखने के लिए ASM कैटेगरी को विभाजित किया गया है दो मुख्य प्रकारों में: शॉर्ट टर्म ASM कैटेगरी और लॉन्ग टर्म ASM कैटेगरी। ये दोनों कैटेगरीज शेयरों पर नजर रखने के लिए अलग-अलग चरणों का उपयोग करती हैं।

शॉर्ट टर्म ASM कैटेगरी

इस कैटेगरी में शेयर को दो चरणों में रखा जाता है:

  1. पहला चरण (Stage 1): यदि किसी शेयर में असामान्य गतिविधियां नोटिस की जाती हैं, तो उसे पहले चरण में रखा जाता है। इस चरण में शेयर पर विशेष निगरानी रखी जाती है, और निवेशकों को अधिक मार्जिन अनिवार्य हो सकता है।
  2. दूसरा चरण (Stage 2): यदि पहले चरण में सुधार नहीं होता है, तो शेयर को दूसरे चरण में स्थानांतरित किया जाता है। इस चरण में निगरानी और भी कड़ी की जाती है, और ट्रेडिंग मार्जिन और भी बढ़ाया जा सकता है।

लॉन्ग टर्म ASM कैटेगरी

जब किसी शेयर में लगातार असामान्य गतिविधियां देखी जाती हैं और शॉर्ट टर्म ASM के दोनों चरणों में सुधार नहीं होता, तो इसे लॉन्ग टर्म ASM कैटेगरी में डाला जाता है। इसमें चार चरण होते हैं:

  1. स्टेज 1: यहां शेयर की गहन समीक्षा की जाती है, और यदि कोई सुधार नहीं होता है तो इसे अगले चरण में ले जाया जाता है।
  2. स्टेज 2: इस चरण में निगरानी और भी सख्त की जाती है, और शेयर के ट्रेडिंग पर और अधिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
  3. स्टेज 3: यदि स्टेज 2 में भी कोई सुधार नहीं होता, तो शेयर को इस चरण में लाया जाता है। यहां पर निगरानी और भी अधिक कड़ी होती है।
  4. स्टेज 4: यह अंतिम चरण है, जहां शेयर पर सबसे अधिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं। यदि इस चरण में भी कोई सुधार नहीं होता है, तो शेयर पर आगे भी सख्त नियम लागू रह सकते हैं।

ASM कैटेगरी का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में स्थिरता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इसलिए, निवेशकों को इन कैटेगरीज के बारे में जानकार रहना चाहिए और अपने निवेश के निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए।

कंपनी के शेयर ASM फ्रेमवर्क से कब बाहर आते हैं?

ASM फ्रेमवर्क एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत कंपनियों के शेयरों पर नजर रखी जाती है ताकि बाजार में किसी प्रकार की अनियमितता या अस्थिरता न हो। आइए देखें कि किस प्रकार से शेयर ASM फ्रेमवर्क से बाहर आते हैं।

  1. स्तर 1 ASM: इस स्तर पर शेयर 6 महीने की निगरानी में रहते हैं। यदि इस अवधि में शेयर की कीमत में लगातार वृद्धि होती है और उनका औसत दैनिक व्यापारिक मात्रा (ADTV) पहले की तुलना में अधिक हो, साथ ही कंपनी पिछले दो वित्तीय वर्षों में लाभदायक रही हो, तो वे ASM से बाहर आ सकते हैं।
  2. स्तर 2 ASM: यहां शेयर 12 महीने की निगरानी में रहते हैं। इस स्तर पर भी यदि शेयर की कीमत और ADTV में सुधार होता है और कंपनी लगातार तीन वर्षों तक लाभदायक रही हो, तो शेयर ASM से बाहर निकल सकते हैं।
  3. स्तर 3 ASM: इस स्तर पर शेयर 24 महीने की निगरानी में रहते हैं। यदि इस दौरान शेयर की कीमत और ADTV में स्थिरता आती है और कंपनी लगातार चार वर्षों तक लाभदायक रही हो, तो वे ASM से बाहर आ सकते हैं।
शेयर बाजार में ASM Category क्या होता है - ASM Category Details In Hindi

अन्य मानदंड: इन सभी के अलावा, यदि कंपनी ने IPO के माध्यम से बड़ी राशि जुटाई हो, या किसी बड़े सूचकांक में शामिल हो गई हो या उसका अधिग्रहण विलय हुआ हो, तो भी शेयर ASM से बाहर आ सकते हैं।

अगर आप ASM फ्रेमवर्क में शामिल कंपनियों की ताज़ा सूची देखना चाहते हैं, तो NSE या BSE की वेबसाइट पर जा सकते हैं। ध्यान रखें, शेयर का ASM फ्रेमवर्क से बाहर आना कई परिस्थितियों पर निर्भर करता है जैसे कि शेयर का प्रदर्शन, कंपनी की वित्तीय स्थिति और ASM का स्तर।

ASM कंपनियों की सूची

ASM फ्रेमवर्क में शामिल कंपनियों की सूची समय-समय पर बदलती रहती है। नवीनतम सूची के लिए, आप NSE या BSE की वेबसाइट देख सकते हैं। निवेशकों को नियमित रूप से एक्सचेंज की वेबसाइट पर ASM लिस्ट की जांच करनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कौन सी कंपनियां इस सूची में हैं।

ASM लिस्ट में शामिल होने पर निवेशक क्या करें?

यदि आपकी निवेशित कंपनी ASM सूची में आ जाती है, तो यह जरूरी है कि आप घबराएं नहीं और अपने निवेश के फैसले की समीक्षा करें। यदि कंपनी के फंडामेंटल्स मजबूत हैं, तो आप अपने निवेश को बनाए रख सकते हैं।

ASM कैटेगरी का उद्देश्य शेयर बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना है। निवेशकों को इस कैटेगरी की समझ होनी चाहिए और उचित सावधानियां बरतनी चाहिए।

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