बढ़ती ब्याज दरें: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले दो महीनों में रेपो दर में 90 आधार अंक की वृद्धि की है। इससे बैंकों के लिए उधार दरें बढ़ने की उम्मीद है, जिससे जियो फाइनेंस के मार्जिन पर असर पड़ सकता है।

प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: भारतीय फिनटेक क्षेत्र तेजी से प्रतिस्पर्धी हो रहा है, और नए खिलाड़ी हर समय बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। इससे जियो फाइनेंस के बाजार हिस्सेदारी पर दबाव पड़ सकता है।

कमजोर रुपये: भारतीय रुपया पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। इससे जियो फाइनेंस को प्रौद्योगिकी और अन्य इनपुट आयात करना अधिक महंगा हो सकता है।

कम ग्राहक अधिग्रहण: जियो फाइनेंस के ग्राहक अधिग्रहण लागत में हाल के तिमाहियों में वृद्धि हुई है। यह बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण है।

उच्च ऋण चूक: जियो फाइनेंस की ऋण पुस्तक तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कंपनी ने ऋण चूक में भी वृद्धि देखी है। इससे इसकी लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है।

 नियामक चुनौतियां: RBI फिनटेक क्षेत्र के लिए विनियमन को सख्त कर रहा है। इससे जियो फाइनेंस को काम करना और बढ़ना अधिक कठिन हो सकता है।

निवेशक भावना नकारात्मक: हाल के महीनों में समग्र बाजार भावना नकारात्मक रही है, इस तरह के कारकों के कारण जैसे यूक्रेन में जारी युद्ध और बढ़ता हुआ मुद्रास्फीति। यह भी जियो फाइनेंस के शेयर मूल्य पर भारी पड़ा है।

निवेशक भावना नकारात्मक: हाल के महीनों में समग्र बाजार भावना नकारात्मक रही है, इस तरह के कारकों के कारण जैसे यूक्रेन में जारी युद्ध और बढ़ता हुआ मुद्रास्फीति। यह भी जियो फाइनेंस के शेयर मूल्य पर भारी पड़ा है।